IRADA इरादा

Institute of Rural Agricultural Development and Agripreneurship
ग्रामीण कृषि विकास और कृषि उद्यमिता संस्थान

About

IRADATECH Foundation

an ISO 9001:2015 certified NGO, registered under Section 8, company act 2013, for quality standards and is Recognized as an “Authorized Training and Research Centre” for Gorakhpur University, Sikkim Skill University and Global

स्वस्थ इंसान समृद्ध किसान

OUR PROJECTS

Agricultural Skill Development

एम्प्लॉयबिलिटी स्किल डेवलपमेंट इन एग्रीकल्चर स्टूडेंट्स

Rural Employment Development

गांव में रोजगार, सम्भावना अपार

Natural
Food Mart

(इराडा नेचुरल्स)

IRADA Soil Health Centre

हमारा इरादा, लागत आधा, उत्पादन ज्यादा

हमारा उद्देश्य

• युवा कृषि उद्यमियों और किसानों के लिए काम करना
• युवाओं को कृषि और खाद्य प्रणालियों में निवेश के लिए सशक्त बनाने के लिए काम करना

हमारी प्रक्रिया

• जैविक खेती प्रशिक्षण
• कृषि उद्यमिता प्रशिक्षण
• पुनः खरीद की गारंटी
• जैविक उत्पाद वितरण

हमारा प्रयास- ज़हर मुक्त भोजन

हम सभी का उद्देश्य भारत का हर प्राणी स्वस्थ, समृद्ध और सशक्त बने इसके लिए हमें खुद को प्राकृतिक कृषि को अपनाना होगा, इसके बारे में सभी को ख़ास कर किसानों और युवाओं को जागरूक करना तथा कृषि के प्राकृतिक स्वरुप को बढ़ावा देने के लिए आमजन को प्रेरित करना होगा । जैविक भोजन, वह भोजन है जिसे प्रमाणित जैविक खेती पद्धतियों के ज़रिए बनाया जाता है. जैविक भोजन बनाने में सिंथेटिक सामग्री का इस्तेमाल कम से कम किया जाता है या फिर उसे पूरी तरह से बाहर रखा जाता है. जैविक भोजन के बारे में कुछ खास बातेंः 

  • जैविक भोजन बनाने में, अजैविक कीटनाशकों, कीटनाशक दवाओं, और औषधियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता. 

  • जैविक भोजन में आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव (जीएमओ) के बीजों का इस्तेमाल नहीं किया जाता. 

  • जैविक भोजन बनाने में, पशुओं को एंटीबायोटिक दवाओं और वृद्धि हार्मोन का इस्तेमाल किए बिना पाला जाता है और उन्हें स्वस्थ आहार खिलाया जाता है. 

  • जैविक भोजन बनाने में, रसायन मुक्त मिट्टी और प्राकृतिक उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाता है. 

  • जैविक भोजन बनाने में, कृषि और खाद्य में नैनोप्रौद्योगिकी का इस्तेमाल नहीं किया जाता. 

  • जैविक भोजन, स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए फ़ायदेमंद होता है. 

  • जैविक भोजन, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत करता है

जैविक खेती

अधिक पैदावार के लिए अज्ञानतावश हम अपने खेतों में हानिकारक रसायनों का अत्यधिक मात्रा में उपयोग कर लेते हैं जिससे फसल के साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य एवं मिट्टी की गुणवत्ता पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है।उपजाऊ भूमि को नुकसान पहुंचाने के साथ परिस्थितिकी की खाद्य शृंखला में भी लंबे समय तक बने रहते हैं जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पौधों, लाभदायक जीवाणुओं, पशुओं तथा मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। जिसकी वजह से कैंसर, कुपोषण, हृदयाघात जैसी बीमारियों की स्थिति पैदा हो जाती है। फ़िर जो पैसा कमाया था उससे कहीं गुना अधिक इन बीमारियों के इलाज में बहाना पड़ता है।

  • यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है और मिट्टी के रासायनिक और भौतिक गुणों को बेहतर बनाती है. 
  • इससे मिट्टी का कटाव और क्षरण कम होता है. 
  • जैविक खेती से उत्पादित उपज मानव और पशुओं के लिए स्वस्थ होती है. 
  • यह पर्यावरण के लिए फ़ायदेमंद है. इससे प्रदूषण कम होता है. 
  • जैविक खेती से मिट्टी की पानी को सोखने की क्षमता बढ़ती है, जिससे सूखे और बाढ़ का असर कम होता है. 
  • जैविक खेती से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ती है, जिससे मिट्टी को ज़रूरी पोषक तत्व मिलते हैं. 

स्वस्थ खेती की तरफ इशारा करते हुए सरकार का ध्यान भी कम लागत में अधिक पैदावार पर केंद्रित है। प्राकृतिक कृषि पूर्ण रूप से गोआधारित है जो किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ साथ गुणवत्तापूर्ण पैदावार बढ़ाना भी सुनिश्चित करती है। बीते 70 सालों में देश के खाद्यान्न उत्पादन में तो बढोतरी हुई है लेकिन किसानों की आय अब भी निचले स्तर पर बनी हुई है। जो कि अति दुखद एवं विचारणीय विषय है।